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धड़ा  : पुं० [सं० धट] [स्त्री० धड़ी] १. एक प्रकार की पुरानी तौल जो कहीं चार सेर की और कहीं पाँच सेर की मानी जाती थी। २. तौलने का बटखरा। बाट। ३. तराजू। तुला। मुहा०—धड़ा उठाना=तौलने के लिए तराजू उठाकर हाथ में लेना। धड़ा करना=तौलने से पहले तराजू उठाकर यह देखना कि दोनों पलड़े बराबर हैं या नहीं और यदि दोनों में कुछ अन्तर हो, तो किसी ओर पासंग रखकर वह अंतर दूर करना। धड़ा बाँधना=(क) धड़ा करना। (ऊपर देखें) (ख) लाक्षणिक रूप में, ऐसी युक्ति करना कि कोई दूसरा आदमी दोषी सिद्ध हो। पुं० जत्था। झुण्ड। दल। मुहा०—धड़ा बाँधना=अपना अलग दल या वर्ग बनाना। दलबंदी करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धड़ा-धड़  : क्रि० वि० [अनु० धड़] १.धड़-धड़ शब्द करते हुए। जैसे—धड़ा-धड़ ईंट-पत्थर फेंकना या चलाना। २. जल्दी-जल्दी और बराबर। निरंतर लगातार। जैसे—धड़ाधड़ बोलते चलना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धड़ाक  : क्रि० वि० [अनु०] १. धड़ शब्द करते हुए। जैसे—वह धड़ाक से गिर पड़ा। २. एकाएक। सहसा। जैसे—इतने में वह वहाँ धड़ाक से आ पहुँचा।a पुं०=धड़ाका।a
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धड़ाका  : पुं० [अनु० धड़] १. ‘धड़’ से होनेवाला जोर का शब्द धमाका। जैसे—तोप या बंदूक का धड़ाका। क्रि० वि० चटपट। तुरंत। जैसे—वह धड़ाका उठकर चल खड़ा हुआ। पद—धड़ाके से=चट-पट। तुरंत। धड़ल्ले से।
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धड़ाबंदी  : स्त्री० [हिं० धड़ा+फा० बंदी] १. कोई चीज तौलने से पहले तराजू का धड़ा, पासंग आदि रखकर ठीक करने की क्रिया या भाव। २. किसी प्रकार की प्रतियोगिता, विरोध आदि के लिए प्रस्तुत होने के समय अपने सब अंग और पक्ष ठीक करना। ३. युद्ध के समय दोनों पक्षों का अपना सैनिक बल शत्रु के सैनिक बल के बराबर करना।
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धड़ाम  : पुं० [अनु० धड़] ऊँचाई से वेगपूर्वक नीचे आकर पड़ने, गिरने आदि का शब्द। धड़ या धम शब्द। पद—धड़ाम से=जल्दी या वेगपूर्वक और धड़ या धड़ाम शब्द करते हुए। जैसे—वह धड़ाम से नदी में कूद पड़ा।
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